कचना धुरवा का इतिहास
नमस्कार दोस्तो आप कैसे है मैं आपका अपना वेबसाइट द - ट्राइब्स में स्वागत करता हूँ व आज आप लोगों को जिस विषय मे बताने वाला हूँ वास्तव में वह कांफी रोचक लोक कथा व कुछ कुछ इतिहास से संबंधित है जी हां आपने बिल्कुल सही सुना तो चलो शुरू करते है आज का चर्चा |
कचना धुरवा मंदिर गरियाबंद राजिम रोड |
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कचना धुरवा मंदिर गरियाबंद राजिम रोड |
हम लोग दोस्तो के साथ अक्टूबर 2021 को गरियाबंद घूमने का एक प्लान तैयार कर गरियाबंद के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने निकल पड़े चिगरापंगार जलप्रपात देखकर और बांकी जलप्रपात देखने के लिए गरियाबंद-राजिम रोड पर आगे बढ़े तो लगभग गरियाबंद से 13 किलोमीटर की दूरी पर राजिम रोड में एक मंदिर दिखाई पड़ा नाम था "कचना-धुरवा" नाम सुनकर एक अजीब सा जिज्ञासा उमड़ पड़ा क्योकि यह कोई हिन्दू देवी देवताओं के नाम से बिल्कुल डिफरेंट नाम था जिसमे अपनापन लिए हुए है क्योकि अक्सर छतीसगढ़िया नाम मे कचरा,,, नाम सुन्ना कोई आश्चर्य जनक बात नही है फिर धुरवा नाम भी सुनना कोई बड़ी चीज नही है क्योकि छत्तीसगढ़ में यह नाम जनसामान्य है हर गाँव मे एक न एक यह नाम से मिल जाएगा यह मंदिर और नाम सुनकर मेरे जिज्ञासु मन मे एक बात उभरा और वह यह था की कोई इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित होंगे जो यह मंदिर बनवाया होगा और मंदिर बनवाने वाले का नाम कचना होगा धुरवा उनका सरनेम होगा यह पूर्वाग्रह मेरे मन में अनायास ही आ रहा था मैंने मनोभाव को संभाला और उसी क्षेत्र के भाई जो हमारे साथ यात्रा में थे उन्हें इस मंदिर के बारे में विस्तृत जानकारी चाही पर वे कुछ स्पष्ट जवाब नही दे पा रहे थे पर उनके द्वारा यह बात कही गई कि कोई सुप्रसिद्ध व्यक्ति था ये उन्ही का मंदिर है और एक मंदिर ऊपर भी है करके मेरे लिए उतना भी कांफी था फिर शुरू हुआ मेरा खोज का सफर मैंने विभिन्न दस्तावेज खंगालनी शुरू की तो कई कड़ी जुड़ना शुरू हुआ तो कई जगह मैं खुद कहानियों और लोक कथाओं में फंसता चला गया कई जगह भ्रमित तो कई जगह नई जानकारी खोजता चला गया तो मैंने जो निष्कर्ष निकाला वह कुछ इस प्रकार है यह इतिहास की दृष्टिकोण से लिखा गया लेख है अगर आप लोगों का जानने के प्रति रुचि रहा तो प्रचलित लोक कथा और किवदंती भी पोस्ट करूँगा तो चलो शुरू करते है आज का लेख "कचना धुरवा का ऐतिहासिक अध्ययन" |
कचना धुरवा मंदिर गरियाबंद राजिम रोड |
आज से लगभग लगभग 800 से 900 साल पहले आज के मध्यप्रदेश में लांजीगढ़ देवगढ़ मंडला और बालाघाट से संबध रखने वाले राजकुमार सिंघलसाय जिसको कई लोग नेताम तो कई लोग धुर्वा मानते है वह लांजीगढ़ से छुरा आकर मरदा जमीदारी के अंतर्गत निवास करने लगा यह बात मरदा के जमीदारी में चिंडा भुंजिया का शासन था जैसे ही उन्हें पता चला वह अपने शासन और कुर्सी के प्रति ख़तरा महसूस होने लगा उन्होंने रणनीति बनाई और सिंघलसाय |
कचना धुरवा मंदिर गरियाबंद राजिम रोड |
को एक भोज के लिए आमंत्रित किया और उनके भोजन में जहर डालकर छलपूर्वक उनकी हत्या कर दिया,, रानी वंहा से भागकर (किसी परिवाहन के माध्यम से)पटनागढ़ चली गई व अपना पहचान छुपाकर रहने लगी चूंकि रानी पहले से गर्भवती थी,, दिन बीतता गया और प्रसव का समय नजदीक आ गया, उसी दौरान रानी कचरा फेकने घुरवा जा रही थी उसी दौरान प्रसव पीड़ा उठा और एक बालक का जन्म हुआ,,,, चूंकि वह कचरा फेकने जा रही थी इसलिए इनका नाम कचना धुरवा हुआ ऐसा चुकी पहले नजर ना लगे या बुरी ताकतों से बचाने के लिए इस प्रकार के नामो का प्रचलन था जैसे कचरा,,, घुरवा, घसिया, घस्सू, चोवा, बेलदार, चामिन, आदि,,,,,, तो यह नाम भी नजर न लगे या कोई राजा खान दान से है न जान पाए इसलिए रखा गया होगा ऐसा जान पड़ता है खैर '' कचना घुरवा'' नाम रखने के पीछे के जो भी मकसद रहा हो पर कहते है न ''पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते  |
कचना धुरवा मंदिर गरियाबंद राजिम रोड |
है'' या फिर ''प्रतिभा किस नाम का मोहताज नही होता'' बात कचना धुर्वा पर फिट बैठता है कचना धुर्वा बचपन से ही कांफी प्रतापी व साहसी किस्म का बच्चा था...कचना धुरवा धीरे धीरे जवान हो गया उसी समय बलांगीर पटना रियासत में एक आदमखोर शेर का आतंक था जिसको मारने के लिए राजा ने ढिंढोरा पिटवाया की जो शेर को मारेगा उसे बहुत सारा धन ईनाम के रूप में दिया जाएगा उस समय राजा रमई देव था जो कचना धुरवा का हम उम्र था
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राज महल छुरा |
और उस समय उन्ही का राज चल रहा था यह खबर कचना धुरवा को पता चला और वह अपना तीर धनुष व अन्य हथियार और फंदा के साथ शेर के तांक में बैठ जाता है जब शेर आता है तो कचना धुरवा जो पहले से ताक लगाये बैठा था वह शेर पर टूट पड़ता है शेर इस अचानक हमले को समझ और खुद को संभाल पाता उससे पहले कचना धुरवा के हथियारों और फंदों के जोर से जंगल का राजा भी चित हो गया ,,,उस आदमखोर शेर के शिकार करने की खबर गाँव गाँव में आग की तरह फ़ैल गई और यह बात राजा रमई देव तक भी पहुच गया राजा कचना धुरवा से कांफी प्रभावित हुए और उन्हें अपने सैनिक में जोड़ लिया धीरे धीरे समय बीतता गया कचना धुरवा की माँ सही समय जानकर उनको उनकी पूरी अतीत बताई और उनके पिताजी के हत्या के बारे में भी पूरी बात बता दिया समय बीतता गया कचना धुरवा अपने प्रतिभा और साहस के बूते रमईदेव के सैनिको के सेनापति बन गए राजा को इन्होने बहुत खुश रखा जो भी कार्य राजा इनको देते थे पूर्ण करके देते थे इन सब से खुश होकर राजा ने कचना धुरवा से अपने मन पसंद कोई भी चीज जो उन्हें पसंद हो मांगने को कहा तो अब कचना धुर्वा अपने पिता के हत्या का बदला लेने वाली को याद कर कचना धुरवा ने मरदा जमीदारी मांगी तो राजा ने ख़ुशी ख़ुशी दे दी .. कचना धुरवा मरदा जमीदारी गया और अपने पिता के हत्यारे  |
राज महल छुरा |
चिंडा भुंजिया से युद्ध किया और भुंजिया राजा को यूद्ध में पराजित कर मरदा रियासत अपने कब्जे में ले लिया और आस पास के अन्य क्षेत्रो को को भी जीतकर वर्तमान नवागढ़ को अपना (निवास स्थल)राजधानी बनाया यह क्षेत्र में उस समय बहुत बन्दर थे तो नवागढ़ सियासत के नाम के साथ बेंदरा भी जुड़ गया और उसका नाम बेंदरानवागढ़ हो गया जो कालांतर में बेन्द्रानवागढ़ होते हुए बिंद्रानवागढ़ हुआ बिंद्रानवागढ़ रियासत की नींव कचना धुरवा के द्वारा रखी गई....कचना धुर्वा बहुत ही न्याय प्रिय शासन किया वह अपने शासन काल में ही देवता की उपाधि प्रपात कर चुके थे जो आज भी उस क्षेत्र के लोगों के मन में असीम विश्वास को लिए हुए है कचना धुर्वा को अपने भगवान देवता के रूप में मानते व मंदिर बनाकर पूजा करते है यह अपार आस्था, श्रद्धा को प्रदर्शित करता है जो इस बात से ही स्पस्ट हो जाता है जो भी गाड़ी मोटर राजिम से गरियाबंद आने वाली मुख्य मार्ग से गुजरती है बिना कचना घुरवा मंदिर में रुके नही गुजरती है कचना धुर्वा का मंदिर राजिम से गरियाबंद मुख्य मार्ग पर बारुका से लगभग 8-9 किलोमीटर की दुरी पर है .....कचना धुरवा से संबधित कई लोक कथा मौजूद है अगर आप लोगो का जिज्ञासा और रूचि रहा तो वह भी बहुत जल्दी लेकर आपके बीच उपस्थित होऊंगा ............कचना धुरवा के नाम से छुरा के महाविद्यालय और एक निजी महाविद्यालय का नामकरण किया गया है कचना धुरवा के रियासत से सम्बंधित इतिहास रायपुर गजेटियर के साथ साथ गरियाबंद थाने में भी मिल जायेगा इनका लोक कथा इसलिए नही लिख रहा हूँ क्योकि आज केवल ऐतिहासिक जानकारी ..........लोक कथाओ और किवदंती के जानने के लिए निचे कमेंट जरुर करें और किस विषय में लेख चाहिए वह भी बतायेआपका अपना आर्यन चिराम |
रायपुर गजेटियर |
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रायपुर गजेटियर |
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इतिहास गरियाबंद पुलिस थाना |
सन्दर्भ लिंक:-
ब्रिटिशकालीन छत्तीसगढ़ गजेटियर भाग-2 (छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रन्थ अकादमी )
https://khabar24x7.in
dakshinkosaltoday.com
https://aarambha.blogspot.com
यादो की पिटारा
Janjatiye_Mithak_kahaniya
रमई देव
शासकीय कचना धुर्वा महाविद्यालय छुरा जिला गरियाबंद
https://www.gkdcollege.com/
बंदरगाह क्षेत्र
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